कोविड-19 के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का भारत में उत्पादन कर रही कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि 100 से ज्यादा कंपनियां वैक्सीन बना रही हैं। ऐसे में यह बताना मुश्किल है कि पहले कौन सा देश या कौन सी कंपनी वैक्सीन ला पाएगी। हमें उम्मीद है कि वैक्सीन बन जाती है, तो इसे छिपाया नहीं जाएगा। इसमें ईमानदारी और व्यापारिक समझदारी होगी। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...।
- क्या भारतीय फार्मा मार्केट के लिए कोविड के कुछ सकारात्मक असर देखने को मिलेंगे?
दुनिया में 70% वैक्सीन भारतीय हैं। भारतीय निर्माता, विश्व मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री की रेस में पहले ही आगे हैं। कोरोना के दौर में व्यापार और हेल्थ इंस्टीट्यूशन दोनों साथ आए हैं ताकि भारत, आत्मनिर्भरता के साथ लड़ सके। सीरम, मायलैब के साथ 2 लाख किट रोजाना बना रही है, जिससे देश बढ़ती मांग पूरी हो सकेगी। मुझे विश्वास है कि हम उपलब्ध टैलेंट, टेक्नोलॉजी, इनोवेशन युक्त डेवलमेंट से मदद कर पाएंगे, जिससे अन्य देशों पर निर्भरता कम कर सकें।
- कोविड-19 वैक्सीन का ट्रायल 100% सफल होगा ही, इसका आधार क्या है?
वैक्सीन बनाना रोलर कोस्टर पर सवारी करने जैसा है। वैक्सीन बनाने में अप एंड डाउन आते हैं। हमें धैर्य रखना है और तुरंत किसी निर्णय पर नहीं पहुंचना है। ट्रायल के तीन चरण हैं। तीनों चरण पूरे होने का हमें इंतजार करना होगा।
- अगर ट्रायल सफल नहीं हुआ तो सीरम को कितना नुकसान होगा और उसे आप किस तरह वहन करेंगे?
चूंकि हम लिस्टेड कंपनी नहीं हैं, इसलिए हम किसी भी इन्वेस्टर्स को लाभ या रिटर्न देने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। इसीलिए हमने तय किया कि हम ट्रायल से पहले वैक्सीन का प्रोडक्शन खुद के रिस्क पर करेंगे। हमने कुछ समय के लिए अन्य वैक्सीन का प्रोडक्शन पूरी तरह रोक दिया है। अभी जो ट्रायल्स के रिजल्ट आए हैं उन्हें देखकर हमने अपनी प्रोडक्शन क्वांटिटी घटा दी है। पहले हमने 1 करोड़ डोजेज बनाने का प्लान किया था, जो अब कुछ लाख तक सीमित रखा है।
- आप कोविड में किस तरह के अवसर देखते हैं?
अंग्रेजी की एक कहावत है- एवरी क्लाउड हैज ए सिल्वर लाइनिंग (हर दुख या कठिनाई की स्थिति में एक अवसर भी छुपा होता है)। भारत में जब कोविड आया तो सक्रिय और त्वरित फैसले लिए गए, जिससे भारत सबसे आगे नजर आया। इस स्थिति को हमें एडवांटेज के तौर पर लेना चाहिए, जिसमें हम अपने हेल्थ केयर इंस्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर पाएं। हमारी हेल्थ केयर पॉलिसीज को रिवाइज कर पाएं। हमारे देश में जो हेल्थ केयर फ्रेम वर्क है, उसे हम सुधार सकें।
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