नासा की कई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल मेडिकल साइंस में

जिस तरह एक बीमारी को दूर करने के लिए एक डॉक्टर मानव शरीर को सूक्ष्म तरीके से समझने की कोशिश करता है, उसी प्रकार नासा अथाह अंतरिक्ष को गहराई से समझने की कोशिश करता है, ताकि हर नई खोज और ज्ञान को मानव कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जा सके। नासा अधिकतर सरकारी एजेंसियों से बहुत अलग है। यह दुनियाभर की बाकी स्पेस एजेंसियों से भी अलग है।

बहुत कम लोग जानते हैं कि नासा के पास देश की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी नहीं है। हम सिर्फ खोज और आविष्कार करते हैं। नासा पर पैसा कमाने का भार भी नहीं है। नासा दुनिया को एक अविभाजित अस्तित्व के तौर पर देखता है। नासा जब धरती को अंतरिक्ष से देखता है तो उसे सीमाएं नजर नहीं आती।

नासा में डॉक्टर होने के नाते मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले एस्ट्रोनॉट्स हर हाल में तंदरुस्त रहें। आज नासा की कई टेक्नोलॉजी मेडिकल साइंस में इस्तेमाल हो रही हैं। उदाहरण के तौर पर मानव शरीर के तापमान को नापने के लिए आज जिस थर्मो गन का इस्तेमाल हो रहा है, वह थर्मो स्कैन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से नासा ग्रहों के तापमान को नाप लेता है।

नासा ने और भी कई ऐसी तकनीक इजाद की हैं, जिनका मेडिकल साइंस में इस्तेमाल हो सकता है। हमारे पास एक ऐक्वा सैटेलाइट है, जो हवा और मिट्टी में नमी को नापने का काम करता है। इस टेक्नोलॉजी के उपयोग से यह पता किया जा सकता है कि कहां मच्छर पनप रहे हैं, जो डेंगू और जीका जैसी बीमारियां बढ़ा सकते हैं। इस जानकारी के आधार पर पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी सचेत होकर रोकथाम की कार्यवाही कर सकती है।

कोविड-19 के मरीजों को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है। नासा की जॉइंट प्रपल्शन लैब के इंजीनियरों ने मात्र 39 दिनों में न सिर्फ हल्का और कारगर वेंटिलेटर बनाया, बल्कि बिना लाइसेंस फीस के कई देशों को इसे बनाने की छूट भी दे दी है। जो भी देश इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहते हैं वे कर सकते हैं। कोरोना महामारी के दौरान मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन है ही नहीं। हम ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं, जिसे ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स कहते हैं।

इसकी मदद से यंत्र वातावरण में मौजूद भाप को इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेस से ऑक्सीजन में बदल देगा। यानी ऑक्सीजन की बोतलों को भरने या बदलने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। इस तकनीक को हम स्पेस में तो इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन जल्दी ही इसका इस्तेमाल आसानी से अस्पतालों में हो सकेगा। इस तकनीक का सबसे ज्यादा लाभ उन देशों को होगा जो आज ऑक्सीजन के सप्लाई चेन से बहुत दूर हैं। वे जहां जरूरत हो ऑक्सीजन बना सकते हैं। आप सोच के देखिए वो परिस्थिति जब एक भी मरीज की मौत किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से नहीं होगी। ऐसा समय दूर नहीं है।

दिसंबर के अंत में या जनवरी की शुरुआत में हमें चीन में पनप रही बीमारी के बारे में पता लगना शुरू हुआ। हमें ऐसा लगा कि सार्स या मर्स की तरह ही इस बीमारी को भी रोक लिया जाएगा। लेकिन एक स्पेस एजेंसी होने के नाते हमने जनवरी की शुरुआत में अपने सिस्टम्स की टेस्टिंग इस नज़रिए से शुरू कर दी थी कि अगर जरूरत पड़ी तो क्या हम बिना ऑफिस आए काम जारी रख सकते हैं। हमारे लिए ये जानना जरूरी था कि अगर हम टेलिवर्क करते हैं तो हमारा आईटी सिस्टम कितना लोड ले सकता है।

कोरोना वारयस के बारे में जानकारी मिलने के तुरंत बाद ही नासा की टॉप लीडरशिप ने बहुत जल्दी ऐसे निर्णय लेने शुरू कर दिए थे ताकि कम से कम मानव संसाधन के इस्तेमाल से जरूरी काम नासा के सेंटर से किए जा सकें और बाकी सब लोग टेलिवर्क कर सकें। बिना यात्रा किए अगर काम को अंजाम देना हो तो लॉजिस्टिकल चुनौतियां क्या हो सकती हैं इसका मूल्यांकन भी हमने बहुत जल्दी शुरू कर दिया था। जिन लोगों को डीएम-2 स्पेस एक्स मिशन के लिए स्पेस यात्रा करनी थी, हमने तत्काल उनके लिए कोविड टेस्टिंग की व्यवस्था कर दी थी। हम स्पेस स्टेशन में किसी किस्म का संक्रमण बर्दाश्त नहीं कर सकते। खास तौर पर ऐसा संक्रमण, जिसकी न तो दवा हो और ना ही कोई वैक्सीन।

महामारियों का अनुमान लगाने और वैक्सीन-दवा बनाने तक में भविष्य में सुपर कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से काफी मदद मिलेगी। इसरो जैसे संस्थानों के साथ साझा कार्यक्रम भी बहुत कारगर सिद्ध हो सकता है। स्पेस हमें बताता है कि अनंत ब्रह्मांड में हम रेत के जर्रे के बराबर भी नहीं हैं। हम सिर्फ इतना ही मान सकते हैं कि यात्रा करना ही हम सब की नियति है। यात्रा की तुलना में मंजिल का अस्तित्व उतना महत्वपूर्ण नहीं है।

(जैसा उन्होंने रितेश शुक्ल को बताया)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
डॉ जेडी पोल्क, चीफ मेडिकल ऑफिसर, नासा


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2AjtKEn
via IFTTT
SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें