विजयवाड़ा के गांवों में कपास के खेतों में मजदूरी सिर्फ छोटी बच्चियों को मिलती है, कारण - उनके नाजुक हाथ कपास के फूल को अच्छे से रगड़ते हैं

कोरोनावायरस ने आंध्र प्रदेश के दूर-दराज के गांवों में मौजूद सामाजिक कुरीतियों की पोल खोल दी है। खाने के लाले पड़े तो जरूरतमंद आवाजोंने गांव की पगडंडियों से होते हुए शहरों में शोर मचाना शुरू किया। इन गांवों से शहर तक जाने के लिए सड़क तो है लेकिन यहां के लोग शहरों का रुख कम ही करते हैं।

लॉकडाउन के बाद सरकार के नुमाइंदे खुद गांव पहुंच रहे हैं। बाल मजदूरी, औरतों के साथ मारपीट और खेती में बिचौलिये के शोषण को देखते हुए सरकार ने हर गांव में एक ‘गांव सचिवालय’ बनाया है। जहांएक वॉलंटियर, महिला पुलिसकर्मी, एएनएम, आशा वर्कर, किसान और एक कंप्यूटर ऑपरेटर को तैनात किया गया है। आंध्र प्रदेश के सभी 13 जिलों के हर गांव में यह अभियान चल रहा है।

यहां के गंटूर में मिर्चका सबसे बड़ा बाजार है।मिर्च को बोरे में भरते हुए कामगार।

कपास के खेतों में काम करती हैं कम उम्र की लड़कियां

विजयवाड़ा शहर से लगभग 100 किलोमीटर दूर एक गांव है, कोटापाड़ू। यहां कुछ ऐसी लड़कियां हैं जो आज भी बाल मजदूरी करती हैं। कोरोनाकी वजह सेलड़कियांकमाने नहीं जा सकीं।ये लड़कियां कपास के खेतों में काम करती हैं और मजदूरी के लिए इन्हें यहां बुलाया जाता है।

कासा संस्था के शंकर बताते हैं ‘कपास के खेत दो तरह के होते हैं, मेल कपास और फीमेल कपास। मेल कपास के फूल तोड़कर यह लड़कियां फीमेल कपास के खेत में ले जाती हैं और फूल से फूल को रगड़ने के बादजो बीज बनता है उसेकपास के उत्पादन के लिए अच्छा माना जाता है।’ इस काम के लिए सिर्फ छोटी लड़कियों को ही लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि वह अपने कोमल हाथों से ज्यादा बेहतर तरीके से इस काम को करपाती हैं।

कोटापाड़ू गांव की एक दलित बस्ती में हर कोई हमें देखकर अपने घर में छिप रहा था, भाग रहा था। उन्होंने मास्क लगाए इंसान कभी नहीं देखे। शंकर बताते हैं कि वह फोटोग्राफर के बड़े बाल और मास्क देखकर डर रहे हैं।

आंध्र प्रदेश के बॉर्डरइलाके में ज्यादातर बच्चे बाल मजदूरी करते हैं। ये कपास के खेतों में काम करते हैं।

काम करते- करते उंगलियां सूज जाती है
11 साल की एन मधु तेलगु में बोलती है। गांव की आंगनवाड़ी टीचर विजया दुर्गा हमारे लिए इसे ट्रांसलेट करती हैं। विजयादुर्गा बताती हैं कि मधु का परिवार खेतिहर मजदूर है। वे कपास और आम के खेतों में काम करते हैं। लेकिन, कपास के खेत के लिए मधु को ही काम मिलता है। मधु के पिता को 250 रुपएदिहाड़ी मिलती है। जबकि मधु को सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक के 150 रुपएमिलते हैं।

अगर खेत मालिक से इन्होंने कर्ज लिया है तो दिहाड़ी भी नहीं मिलती। 15 साल की सोनी बीते दो साल से यह काम कर रही है। वह बताती है कि दिन भर उंगलियों से काम करने से रात में उंगलियां सूज जाती हैं। लगातार खेत में खड़े होकरकाम करने से पैरों में बहुत दर्द भी होता है।

यहां न्यूजवीड में आम का बगीचा है। यहां से आम तोड़कर मार्केट में सप्लाई किया जाता है।

उधारी पर चल रहा काम

महालक्ष्मी के पिता बालास्वामी कहते हैं कि बेशक राशन का चावल मिल रहा है। लेकिन, एक आदमी के लिए पांच किलो राशन पहले पूरे महीने चलता था। अब यह राशन 10 दिन में ही खत्म हो रहा है। क्योंकि कोई काम नहीं होने से सभी लोग घर पर ही हैं।वेलोग दिन में एक बार ही खाना खा रहे हैं। बालास्वामी ने गांव के साहूकार से तीन फीसदी ब्याज पर 20 हजार रुपएउधार भी ले रखे हैं।

गांव की 19 साल की सीरिशा गुंटूर एक सेठ के घर 2,000 रुपये महीने पर काम कर रही थी। बीते दो साल से उनके घर बर्तन, झाड़ू, पोछा और बच्चों को संभालने का काम करती थी। लॉकडाउन हुआ तो सेठ ने नौकरी से निकाल दिया। पोतनपल्ली गांव की 15 साल की किरण चंदा भी खेत में मज़दूरी करती है। उसकेमाता- पिता की मौत हो चुकी है। बड़े भाई की मानसिक हालात ठीक नहीं है।इसलिए किरण अपने छोटे भाई के साथ मिलकर घर चलाती है।जरूरत पड़ने पर वह 25 किलो चावल साहूकार से उधार लेतीहै।

ग्राम सचिवालय और कोरोना में 50 घर के उपर एक वॉलियंटर लगाया है। ग्रामीणों की मदद करता एक वॉलियंटर।

गांव में अनूठी पहल की शुरुआत
लॉकडाउन में गांव में शराब पीकर औरतों के साथ मारपीट के मामले अचानक बढ़ गए हैं। जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने आंध्र प्रदेश में एक अनूठी शुरूआत की। हर गांव में जो 'गांव सचिवालय' बनाया गया उसमें एक महिला पुलिसकर्मी को तैनात किया गया है। इसके अलावा हर वॉलियंटर को निगरानी के लिए 50-50 घर दिए गए। इनका काम हर घर पर निगाह रखना है कि गांव के किस घर में क्या चल रहा है।

किसकी तबीयत कैसी है, किसे सर्दी-खांसी ज़ुकाम हो रहा है, किस घर में मारपीट हो रही है औरकिस घर में क्या परेशानी है। उन्हें पेंशन और सरकारी राशन मिल रहा है या नहीं। तबियत खराब होने की जानकारी मिलते हीवॉलियंटर एएनएम को सूचित करता है। एएनएम घर जाकर उस इंसान का बुखार और बाकी प्राथमिक जांचें करती हैं।

अगर कोई दिक्कतगड़बड़ मिलती है तो केस आगे रेफर किया जाता है। इस तरह यहां के गावों में कोरोना के मामलों को लेकर नजर रखी जा रही है।यही तरीका है जिससे आंध्र प्रदेश में गांव तक कोविड-19 के मामलों पर नज़र रखी जा रही है।

शराब पीने से अचानक बढ़े घरेलू हिंसा के मामले

विजयवाड़ा से न्यूजवीड के बीच स्थितशराब की दुकान के बाहर लगी कतार।

इसी तरह वॉलियंटर और महिला पुलिस मिलकर उन महिलाओं की मदद कर रही है जो शराबी पतियों से परेशान हैं। कासा जैसी संस्थाएं इन सचिवालयों की मदद से बंधुआ मज़दूरी करने वाली लड़कियों को स्कूल में एडमिशन दिलवा रही हैं। उनके वॉलियंटर लोगों को खेती की जानकारी भी दे रहे हैं। उनके सरकारी फॉर्म भी भर रहे हैं।

आंध्र प्रदेश की गृहमंत्री मेकाथोती सुचारिता बताती हैं कि लॉकडाउन में शराब की दुकानों मेंसाथ बैठकर शराब पीने के अहाते बंद कर दिए हैं। ये तब किया गया जब शराब पीकर मारपीट की घटनाएं अचानक बहुत ज्यादा बढ़ गईं। सरकार ने इसको लेकरसर्वे करवाया तो पता चला किमारपीट इन दुकानों से शराब पीकर घर पहुंचनेके बाद शुरू होती है। इसके बाद 33 फीसदी शराब की दुकानेंबंद की गईं औरकीमतें भी बढ़ा दीगईं।

आंध्र प्रदेश की गृहमंत्री मेखाथोटि सुचरिता ने कहा किशराब से होने वाले राजस्व का विकल्प ढूंढने पर काम चल रहा है।

अगले पांच साल में राज्य में कर दी जाएगी शराबबंदी

गृहमंत्री का कहना है कि अगले पांच सालमें राज्य में शराबबंदी कर दी जाएगी। शराब से होने वाले राजस्व का विकल्प ढूंढने पर काम चल रहा है। आंध्र प्रदेश महिला आयोग की चेयरपर्सन वासी रेड्डी के मुताबिक, लॉकडाउन में महिला आयोग के पास हर महीने300 शिकायतें आईं। वहकहती हैं कि लॉकडाउन की वजह सेमहिलाएं कम ही आई।

इसलिए घटनाओं का यह आंकड़ा कहीं ज्यादा है। आंध्र प्रदेश में एक अम्मावाड़ी योजना है, जिसके तहत महिला के अकाउंट में सरकार की ओर से बच्चों को पढ़ाने के लिए सालाना 15 हजार रुपएडाले जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन में महिलाओं से ज़बरदस्ती पैसे छीनने के मामले भी सामने आए हैं।



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तस्वीर आंध्र प्रदेश के कोटापाड़ू गांव की है। ये बच्चियां बाल मजदूरी की शिकार हैं, कपास के खेतों में इनसे काम कराया जाता है।


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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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