सतेंद्र दास कहते हैं, जब बाबरी विध्वंस हुआ तो मैं वहीं था, सुबह 11 बज रहे थे, हम रामलला को उठाकर अलग चले गए, ताकि वो सुरक्षित रहें

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी हैं सत्येंद्र दास। कहते हैं "सबसे बड़ी बात है कि राममंदिर बन रहा है। 28 साल से मैं पुजारी के रूप में रामलला की सेवा कर रहा हूं। मन मे एक टीस थी कि रामलला टेंट में हैं, लेकिन ठाकुर जी की कृपा से सब सही हो गया। अब हमारे आराध्य श्री राम टाट से निकल कर ठाट में आ गए हैं।

चूंकि, अब ट्रस्ट बन गया है मंदिर बनने के बाद मैं आगे पुजारी रहूंगा या नहीं, यह नहीं कह सकता हूं। क्योंकि बीच मे मेरे रिश्ते विहिप से खराब हो गए थे। साल 2000 में अशोक सिंघल समेत कई बड़े विहिप के नेता जबरदस्ती जन्मस्थान में घुस आए थे। उनके पीछे मीडिया भी थी।

तत्कालीन डीएम भगवती प्रसाद मामले को रफा-दफा करना चाह रहे थे। लेकिन, मीडिया में खबर चलने के बाद यह संभव नही हो सका। बाद में पत्रकारों ने हमसे भी पूछा तो हमने भी नाम बता दिया। इसके बाद विहिप वाले हमसे नाराज हो गए।

हालांकि, हमने संबंध बनाए रखा, लेकिन सही बात यह है कि अब वो बात नहीं है। 80 साल उम्र हो चुकी है। रामलला की सेवा में 28 साल बिता दिए हैं। अगर मौका मिलेगा तो बाकी जिंदगी भी उन्हीं की सेवा में बिताना चाहता हूं।’

अभी तक हम सभी उन्हें एक पुजारी के रूप में जानते आए हैं। आज हम आपको उनकी पिछली जिंदगी में ले चलते हैं।

1958 में घर छोड़ चले आए थे अयोध्या
सत्येंद्र दास बताते हैं कि मैं संत कबीरनगर का रहने वाला हूं। अपने पिताजी के साथ बचपन से अयोध्या आता रहता था। उस समय आसपास का माहौल भी बहुत धार्मिक रहता था। पिता जी अभिराम दास जी के पास आया करते थे। अभिराम दास वही हैं जिन्होंने राम जन्मभूमि में 1949 में गर्भगृह में मूर्तियां रखीं थी। उनसे भी मैं प्रभावित था।

साथ ही पढ़ने की इच्छा थी, तो 8 फरवरी 1958 को मैं अयोध्या आ गया। मेरे परिवार में हम दो भाई और एक बहन थी। जब पिताजी को पता चला कि मैं संन्यासी बनना चाहता हूं तो उन्हें बड़ी खुशी हुई। उन्होंने कहा कि एक भाई घर पर रहेगा और एक भगवान की सेवा में जाएगा। फिर मैं चला आया। अब परिवार में भाई है। कभी-कभी आता-जाता रहता है। त्योहार, उत्सव, पूजा इत्यादि पर मैं भी घर जाता रहता हूं। बहन की मृत्यु हो चुकी है।

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास दो भाई हैं। उनका एक भाई घर पर है। उनकी बहन का निधन हो चुका है।

1976 में मिली सहायक अध्यापक की नौकरी
सत्येंद्र दास बताते हैं कि यहां मैंने संस्कृत विद्यालय से आचार्य 1975 में पास किया। 1976 में फिर अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी मिल गई। उस समय 75 रुपए तनख्वाह थी। इस दौरान मैं राम जन्मभूमि भी आया जाया करता था। श्री अभिराम दास हमारे गुरु थे। इस दौरान मैं कथा, पूजा इत्यादि भी करने जाया करता था। नवरात्रों में जन्मभूमि में कलश स्थापना का कार्य भी करता था। तब कभी नहीं सोचा था कि कभी यहां का मुख्य पुजारी बनूंगा।

1 मार्च 1992 को को मिला रामलला की सेवा का मौका
सत्येंद्र दास कहते हैं कि सब कुछ जीवन में सामान्य चल रहा था। 1992 में रामलला के पुजारी लालदास थे। उस समय रिसीवर की जिम्मेदारी रिटायर जज पर हुआ करती थी। उस समय जेपी सिंह बतौर रिसीवर नियुक्त थे। उनकी फरवरी 1992 में मौत हो गई तो राम जन्मभूमि की व्यवस्था का जिम्मा जिला प्रशासन को दिया गया। तब पुजारी लालदास को हटाने की बात हुई।

उस समय मैं तत्कालीन भाजपा सांसद विनय कटियार विहिप के नेताओं और कई संत जो विहिप नेताओं के संपर्क में थे, उनसे मेरा घनिष्ठ संबंध था। सबने मेरे नाम का निर्णय किया। तत्कालीन विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल की भी सहमति मिल चुकी थी। जिला प्रशासन को सबने अवगत कराया और इस तरह 1 मार्च 1992 को मेरी नियुक्ति हो गई। मुझे अधिकार दिया गया कि मैं अपने 4 सहायक पुजारी भी रख सकता हूं। तब मैंने 4 सहायक पुजारियों को रखा।

सत्येंद्र दास 28 साल से रामलला की सेवा कर रहे हैं।

मंदिर से स्कूल और स्कूल से मंदिर यही दिनचर्या थी
सत्येंद्र दास बताते हैं कि उस समय स्कूल और मंदिर में सामंजस्य बिठाना थोड़ा मुश्किल था, लेकिन सहायक पुजारियों की वजह से सब आसान हो गया था। सुबह तड़के से 10 बजे तक मंदिर में रहता, फिर 10 बजे से 4 बजे तक स्कूल में रहता। फिर 4 बजे के बाद से शाम तक मंदिर में। इस तरह पूजा का काम भी चल रहा था और स्कूल का भी चल रहा था।

100 रुपए पारिश्रमिक बतौर पुजारी मिलता था
सत्येंद्र दास बताते हैं कि मैं चूंकि सहायता प्राप्त स्कूल में पढ़ाता था, तो मुझे वहां से भी तनख्वाह मिलती थी। ऐसे में मंदिर में मुझे बतौर पुजारी सिर्फ 100 रुपए पारिश्रमिक मिलता था। जब 30 जून 2007 को मैं अध्यापक के पद से रिटायर हुआ, तो मुझे फिर यहां 13 हजार रुपए तनख्वाह मिलने लगी। मेरे सहायक पुजारियों को अभी 8000 रुपए तनख्वाह मिलती है।

28 साल से रामलला टेंट में विराजमान थे। अब उनका मंदिर बनने जा रहा है।

जब बाबरी विध्वंस हुआ तो मैं रामलला को बचाने में लगा था
सत्येंद्र दास कहते हैं कि जब बाबरी विध्वंस हुआ तो मैं वहीं था। सुबह 11 बज रहे थे। मंच लगा हुआ था। लाउड स्पीकर लगा था। नेताओं ने कहा पुजारी जी रामलला को भोग लगा दें और पर्दा बंद कर दें। मैंने भोग लगाकर पर्दा लगा दिया। एक दिन पहले ही कारसेवकों से कहा गया था कि आप लोग सरयू से जल ले आएं। वहां एक चबूतरा बनाया गया था।

ऐलान किया गया कि सभी लोग चबूतरे पर पानी छोड़ें और धोएं, लेकिन जो नवयुवक थे उन्होंने कहा हम यहां पानी से धोने नही आए हैं। हम लोग यह कारसेवा नही करेंगे। उसके बाद नारे लगने लगे। सारे नवयुवक उत्साहित थे। वे बैरिकेडिंग तोड़ कर विवादित ढांचे पर पहुंच गए और तोड़ना शुरू कर दिया। इस बीच हम रामलला को बचाने में लग गए कि उन्हें कोई नुकसान न हो। हम रामलला को उठाकर अलग चले गए। जहां उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ।

अयोध्या से जुड़ी हुई ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं...

1. राम जन्मभूमि कार्यशाला से ग्राउंड रिपोर्ट:कहानी उसकी जिसने राममंदिर के पत्थरों के लिए 30 साल दिए, कहते हैं- जब तक मंदिर नहीं बन जाता, तब तक यहां से हटेंगे नहीं

2. अयोध्या से ग्राउंड रिपोर्ट:मोदी जिस राम मूर्ति का शिलान्यास करेंगे, उस गांव में अभी जमीन का अधिग्रहण भी नहीं हुआ; लोगों ने कहा- हमें उजाड़ने से भगवान राम खुश होंगे क्या?

3. अयोध्या से ग्राउंड रिपोर्ट / जहां मुस्लिम पक्ष को जमीन मिली है, वहां धान की फसल लगी है; लोग चाहते हैं कि मस्जिद के बजाए स्कूल या अस्पताल बने

4. अयोध्या में शुरू होंगे 1000 करोड़ के 51 प्रोजेक्ट / राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद 251 मीटर ऊंची श्रीराम की प्रतिमा का भी होगा शिलान्यास; 14 कोसी परिक्रमा मार्ग पर 4 किमी लंबी सीता झील बनेगी

5. अयोध्या के तीन मंदिरों की कहानी:कहीं गर्भगृह में आज तक लाइट नहीं जली, तो किसी मंदिर को 450 साल बाद भी है औरंगजेब का खौफ



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Ayodhya Ram Mandir Pujari Satyendra Das News | All You Need to Know About Ram Janmabhoomi Temple Chief Priest Satyendra Das


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Xc8LLO
via IFTTT
SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें