(मितेश ब्रह्मभट्ट) लॉकडाउन के कारण कई धंधे और रोजगार बंद हो गए हैं या हिचकोले खाकर चल रहे हैं। ऐसे में अहमदाबाद में चल रहा रहा पेइंग गेस्ट (पीजी) और रेंटल व्यवसाय भी ऑक्सीजन पर आ गया है। संचालकों ने बताया कि करीब दो लाख पीजी सेंटर में करीब 15 लाख लड़के- लड़कियां, नौकरी-पेशा लोग रहते थे।
रहने, दो समय का खाने और दो टाइम का चाय-नाश्ता के लिए एक व्यक्ति से कम से कम 5 हजार रुपए प्रति महीने पीजी संचालक लेते थे। इससे पीजी में रहने वाले 15 लाख लोग प्रति माह 750 करोड़ रुपए रहने और खाने के लिए चुकाते थे।
जब लॉकडाउन हुआ तभी पीजी में रहने वाले 70 प्रतिशत लोग रूम खाली कर चले गए। जबकि अभी 20 से 30 प्रतिशत लोग ही रहते हैं। पीजी व्यवसाय के साथ जुड़े ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जो एक ही व्यवसाय पर निर्भर थे इस कारण उनके परिवार की हालत दयनीय हो गई है।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम अहमदाबाद में सबसे अधिक पीजी सेंटर सेटेलाइट, वस्त्रापुरा, गुरुकुल रोड, सोला, साइंससिटी, नवरंगपुरा, नारणपुरा, गुजरात यूनिवर्सिटी, घाटसलोडिया, पालडी, वासना, आंबावाडी में चलते थे। पीजी सेंटर में 8 हजार रुपए में एसी रूम जिसमें लाइट बिल रहने वाले को चुकाना पड़ता था। अलग रूम में रहने के लिए मासिक किराया 10 से 15 हजार तक लिया जाता था।
मैंने लड़कियों का किराया माफ किया पर लैंडलॉर्ड ने हमारा नहीं
मैं विधवा हूं और अपने बेटे के साथ रहती हूं और पीजी चलाकर अपना गुजारा करती हूं। सैटेलाइट क्षेत्र में इंदूबेन धोराजीवाला गर्ल्स पेइंग सर्विस नाम से पीजी सेंटर चलाती हूं। लॉकडाउन हुआ तब जो लड़कियां हमारे पीजी में रहती थीं और उनके माता- पिता किराया नहीं चुका सकते थे, उनसे किराया नहीं मांगा। उनको घर भेजने की भी व्यवस्था की। जबकि हमारा मकान मालिक एक भी महीने का किराया माफ करने को तैयार नहीं है।
- पायलबेन पाठक, सेटेलाइट, पीजी सेंटर संचालिका
मेरे 5 सेंटर चल रहे, यही हालात रहे तो पीजी सेंटर बंद करना पड़ेगा
नवरंगपुरा में मेरे पांच पीजी सेंटर है। इसके अलावा सीजी रोड और नवरंगपुरा क्षेत्र में 200 पीजी सेंटर चलते थे। इनमें से ज्यादातर हाल में बंद हालत में है। यदि इसी तरह चलता रहा तो हमें भी पीजी का धंधा बंद कर दूसरा कोई धंधा शुरू करना पड़ेगा।
- महेश पटेल, पीजी संचालक, नवरंगपुरा
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