17 सितंबर, गुरुवार को सूर्य कन्या राशि में आ जाएगा और इस राशि में ये ग्रह अगले महीने 17 अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान सभी राशियों पर सूर्य का असर पड़ेगा। सूर्य के कन्या राशि में आने से इसे कन्या संक्रांति कहा जाएगा। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक सूर्य का शुभ असर क कारण मेष, कर्क और धनु राशि वाले लोगों के जॉब और बिजनेस में अच्छे बदलाव होने की संभावना है। इसके साथ ही आर्थिक स्थिति और सेहत के लिए भी अच्छा समय शुरू होगा। वहीं, वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों को संभलकर रहना होगा।
- ज्योतिर्विज्ञान में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य के शुभ असर से सेहत संबंधी परेशानी दूर होती है। आत्मविश्वास बढ़ता है। सरकारी काम पूरे हो जाते हैं। जॉब और बिजनेस में तरक्की मिलती है। बड़े लोगों और अधिकारियों से मदद मिलती है और सम्मान भी बढ़ता है। वहीं सूर्य के अशुभ असर के कारण नौकरी और बिजनेस में रुकावटें आती हैं। नुकसान भी होता है। बड़े लोगों से विवाद हो सकता है। आंखों से संबंधित परेशानी होती है। सिरदर्द भी होता है। कामकाज में रुकावटें आती हैं। विवाद और तनाव भी रहता है।
17 को राशि परिवर्तन और 18 से अधिकमास
हिन्दू कैलेंडर में अधिकमास का बहुत महत्व है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। अधिकमास नहीं होता तो हमारे त्योहारों की व्यवस्था बिगड़ जाती। पं. मिश्रा के मुताबिक सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच का अंतर दूर करने के लिए हर तीन साल में अधिकमास की व्यवस्था बनाई गई है। अधिकमास से त्योहारों की व्यवस्था बनी रहती है। अधिकमास की वजह से ही सभी त्योहारों अपने सही समय पर मनाए जाते हैं। वरना होली ठंड के दिनों में यानी दिसंबर-जनवरी में मनानी पड़ती और दिवाली बारिश मनाई जाती।
- अधिकमास को मलमास भी कहा जाता है। इस वजह से कोई भी देवता इस मास का स्वामी बनना नहीं चाहता था। तब मलमास ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु जी ने इसे अपना नाम दिया। इसी वजह से इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है।
सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य संक्रांति
पं. मिश्र बताते हैं कि 17 सितंबर को सूर्य राशि बदलकर कन्या में आएगा। इसी दिन पितृ पक्ष का आखिरी दिन भी है। इसे सर्व पितृ अमावस्या या मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। इस तिथि पर उन मृत लोगों के लिए श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि मालूम नहीं हो। इसी दिन सभी पितरों को श्राद्ध के साथ ही विदाई दी जाती है। इस पर्व पर कन्या राशि में सूर्य के होने से पितरों के श्राद्ध का विशेष फल मिलेगा।
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