शुक्रवार से अधिक मास शुरू हो रहा है। लक्ष्मी और शक्ति के दिन से शुरू हो रहा ये मास समृद्धि में वृद्धि करने वाला है। इस महीने में भगवान विष्णु और कृष्ण की आराधना होती है। ग्रंथों का कहना है, पुरुषोत्तम मास में जो कुछ भी करें, उसे भगवान कृष्ण को समर्पित करके करें। जाप, पूजन, व्रत, दान से लेकर कोई वस्तु खरीदने तक आप सभी कुछ कृष्ण को समर्पित करते हैं, तो ये हमारे वैभव में बढ़ोतरी करने वाला होता है।
शास्त्रों में केवल मांगलिक कार्यों के लिए अधिक मास को वर्जित माना है। इसके अलावा किसी काम की मनाही नहीं है। अगर कोई बड़ा व्यापारिक सौदा करना हो तो किया जा सकता है। कुछ खरीदना भी हो तो खरीद सकते हैं। एस्ट्रो एडवाइजर श्याम एस. ठाकुर के मुताबिक अगर आप अपनी राशि के मुताबिक भी कुछ खरीदना चाहते हैं, तो खरीद सकते हैं। इस समय में कोई दिक्कत नहीं है। ये एक भ्रम है कि अधिक मास में नई सामग्री नहीं खरीदनी चाहिए।
किस राशि के लोग क्या खरीद सकते हैं
- मेष और वृश्चिक - सम्पत्ति में निवेश, औजार, मशीनरी, वाहन आदि।
- वृष और तुला - वैभव बढ़ाने वाली सामग्री, रत्न, नए वस्त्र, आभुषण आदि।
- मिथुन और कन्या - कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, संचार संबंधी, गणित संबंधी चीजें।
- कर्क - नए वस्त्र, चांदी के आभुषण, बर्तन, आरओ आदि।
- सिंह - आध्यात्मिक सामग्री, आवश्यकताओं वाली वस्तुएं, वाहन, मशीनरी।
- धनु और मीन - स्वर्ण-आभुषण, वस्त्र, विद्या अध्ययन की सामग्री।
- मकर और कुंभ - लौह सामग्री, मशीनरी, औजार, श्रम क्षेत्र से जुड़ी चीजें।
शुक्रवार और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र से शुरुआत
अधिक मास की शुरुआत शुक्रवार से हो रही है, ये देवी लक्ष्मी का दिन है। उस समय उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा। ज्योतिष में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र बहुत तीव्र फल देने वाला माना गया है। इस नक्षत्र में महीने की शुरुआत शुभ और शीघ्र फल देने वाली रहेगी। उत्तरा फाल्गुनी सम्मान और समृद्धि में भी तेजी से वृद्धि करता है, लेकिन अगर कुछ गलत काम करते हैं तो उसका बुरा फल भी उतनी ही तेजी से मिलता है। अधिक मास में किए गए वैभव संबंधी कार्य बहुत तेजी से परिणाम देने वाले होंगे।
धन, संतान सुख सहित सारे वैभव देता है पुरुषोत्तम मास
अधिक मास उस श्रेष्ठ समय में गिना गया है, जब हम भगवान के निकट जाने के प्रयासों में तेजी ला सकते हैं, स्वाध्याय और स्वभावगत परिवर्तनों से अपनेआप को परमशक्ति के पास ले जा सकते हैं। पुराण कहते हैं....
येनाहमर्चितो भक्त्या मासेस्मिन् पुरुषोत्तमे।
धनपुत्रसुखं भुकत्वा पश्चाद् गोलोकवासभाक्।।
अर्थात- पुरुषोत्तम मास में नियम से रहकर भगवान की विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तिपूर्वक उन भगवान की पूजा करने वाला यहां धन, पुत्र आदि के सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक में निवास करता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2REiwPD
via IFTTT
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें