17 अक्टूबर को तुला राशि में आएगा सूर्य; ग्रंथों में इसे पर्व कहा है, इस दिन स्नान और दान से मिलता है पुण्य

हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक अश्विन महीने तुला संक्रांति पर्व मनाया जाता है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि जिस दिन सूर्य कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करता है उस दिन को तुला संक्रांति पर्व कहा जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिण गोल में चला जाता है। सूर्य के बदलाव के कुछ ही दिनों बाद शरद ऋतु खत्म हो जाती है और हेमंत ऋतु शुरू हो जाती है। तुला संक्रांति पर्व 17 अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन से 16 नवंबर तक सूर्य तुला राशि में रहेगा।

पं. मिश्र बताते हैं कि ऋग्वेद सहित पद्म, स्कंद और विष्णु पुराण के साथ ही महाभारत में सूर्य पूजा का महत्व बताया गया है। तुला संक्रांति पर तीर्थ स्नान, दान और सूर्य पूजा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इससे उम्र बढ़ती है। सूर्य पूजा से सकारात्मकता ऊर्जा मिलती है और इच्छा शक्ति भी बढ़ती है।

तुला संक्रांति से ही नवरात्र शुरू
पं. मिश्रा के मुताबिक इस बार ऐसा संयोग बन रहा है जब तुला संक्रांति पर ही नवरात्र की शुरुआत हो रही है। आमतौर ये संक्रांति नवरात्र से पहले या नवरात्र के दौरान पड़ती है। इन दो पर्वों का संयोग देश के शुभ रहेगा। इससे सुख और समृद्धि बढ़ेगी। सूर्य और शक्ति के प्रभाव से महामारी को असर भी कम होने की संभावना है। इन दोनों पर्व को पूरे भारत में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। राशि परिवर्तन के समय सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है।

पूरे साल में होती हैं 12 संक्रांति
सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति कहते हैं। संक्रांति एक सौर घटना है। हिन्दू कैलेंडर और ज्योतिष के मुताबिक पूरे साल में 12 संक्रान्ति होती हैं। हर राशि में सूर्य के प्रवेश करने पर उस राशि का संक्रांति पर्व मनाया जाता है। हर संक्रांति का अलग महत्व होता है। शास्त्रों में संक्रांति की तिथि एवं समय को बहुत महत्व दिया गया है। संक्रांति पर पितृ तर्पण, दान, धर्म और स्नान आदि का काफी महत्व है।

क्या है तुला संक्रांति
सूर्य का तुला राशि में प्रवेश करना तुला संक्रांति कहलाता है। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने में पड़ता। कुछ राज्य में इस पर्व का अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। इनमें मुख्य उड़ीसा और कर्नाटक है। यहां के किसान इस दिन को अपनी चावल की फसल के दाने के आने की खुशी के रूप में मनाते हैं। इन राज्यों में इस पर्व को बहुत अच्छे ढंग से मनाया जाता है। तुला संक्रांति का कर्नाटक और उड़ीसा में खास महत्व है। इसे तुला संक्रमण भी कहा जाता है। इस दिन कावेरी के तट पर मेला लगता है, जहां स्नान और दान-पुण्‍य किया जाता है।

चढ़ाए जाते हैं ताजे धान
तुला संक्रांति और सूर्य के तुला राशि में रहने वाले पूरे 1 महीने तक पवित्र जलाशयों में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है।
तुला संक्रांति का वक्त जो होता है उस दौरान धान के पौधों में दाने आना शुरू हो जाते हैं। इसी खुशी में मां लक्ष्मी का आभार जताने के लिए ताजे धान चढ़ाएं जाते हैं।
कई इलाकों में गेहूं और कारा पौधे की टहनियां भी चढ़ाई जाती हैं। मां लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है कि वो उनकी फसल को सूखा, बाढ़, कीट और बीमारियों से बचाकर रखें और हर साल उन्हें लहलहाती हुई ज्यादा फसल दें।
इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजन का भी विधान है। माना जाता है इस दिन देवी लक्ष्मी का परिवार सहित पूजन करने और उन्हें चावल अर्पित करने से भविष्य में कभी भी अन्न की कमी नहीं आती।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Navratri 2020; Surya Puja Vidhi, Surya Ka Rashi Parivartan (Planetary Positions) 17th October 2020 On Tula Rashi


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2T0WLdH
via IFTTT
SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें