सेक्स वर्कर्स के दुर्गापूजा की इस बार थीम है 'ताला', ये बताने कि इनके जीवन पर लगा ताला कौन खोलेगा?

बड़ी मुश्किल से अदालत के आदेश पर हमें दुर्गापूजा आयोजित करने का हक मिला। इस साल कोरोना और लंबे लॉकडाउन की वजह से हमारा धंधा लगभग ठप है। लेकिन, हम पूजा आयोजित करने का अपना हक नहीं छोड़ेंगे। यही वजह है कि इस साल भी हम बेहद छोटे स्तर पर ही सही, पूजा का आयोजन कर रहे हैं।

यह कहना है पुष्पा दास का जो एशिया की सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में शुमार कोलकाता के सोनागाछी इलाके की एक सेक्स वर्कर और यहां होने वाली दुर्गा पूजा समिति की एक्टिव मेंबर हैं। वो कहती हैं, 'पंडाल में आने वाले दर्शकों के लिए मास्क और सैनिटाइजर अनिवार्य होगा। पंडाल के दो गेट बनाए गए हैं। वहां मास्क और सैनिटाइजर का भी इंतजाम रहेगा।

इस बार हमारी थीम है ताला। इसका मतलब यह है कि हमारे जीवन पर लगे ताले को कौन खोलेगा। हमने मित्रों-परिजन से चंदा लिया है। दुर्बार महिला समन्वय समिति के शुभचिंतकों के अलावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी हर पंडाल को 50 हजार रुपए देने का एलान किया है।'

देश में बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि रेड लाइट इलाके की मिट्टी के बिना दुर्गा प्रतिमा का निर्माण नहीं हो सकता। लेकिन, उससे भी कम लोग यह जानते होंगे कि सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स 2017 से पूजा का आयोजन भी करती रही हैं। लंबी अदालती लड़ाई के बाद उनको इसका अधिकार मिला था।

दुर्गा प्रतिमा के लिए रेड लाइट इलाके से मिट्टी लेने की बात शायद सबके गले के नीचे नहीं उतरे। मन में यह सवाल पैदा होना लाजिमी है कि इतने पवित्र आयोजन के लिए समाज में हेय निगाहों से देखे जाने वाले रेड लाइट इलाके की मिट्टी क्यों ली जाती है।

सेक्स वर्कर का सबसे बड़ा संगठन दुर्बार महिला समन्वय समिति (डीएमएसएस) भी पूजा में मदद करता है। यह देश में सेक्स वर्कर्स की ओर से आयोजित की जाने वाली पहली और एकमात्र दुर्गापूजा है।

दरअसल, एक पुरानी पौराणिक मान्यता है कि बहुत पहले एक सेक्स वर्कर देवी दुर्गा की बहुत बड़ी उपासक हुआ करती थी। लेकिन, समाज से बहिष्कृत उस सेक्स वर्कर को तरह-तरह की यातनाओं का सामना करना पड़ता था। माना जाता है कि अपनी भक्त को इसी तिरस्कार से बचाने के लिए दुर्गा ने स्वयं आदेश देकर उसके आंगन की मिट्टी से अपनी मूर्ति स्थापित करवाने की परंपरा शुरू करवाई थी।

साथ ही देवी ने उसे वरदान भी दिया था कि उसके यहां की मिट्टी के उपयोग के बिना प्रतिमाएं पूरी नहीं होंगी। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि माना जाता है कि जब कोई पुरुष किसी कोठे के भीतर जाता है तो अपनी सारी पवित्रता वेश्यालय की चौखट के बाहर ही छोड़ देता है। इसलिए चौखट के बाहर की मिट्टी पवित्र हो जाती है।

अपना हक नहीं छोड़ने की जिद की वजह से ही कोरोना महामारी और कमाई एकदम ठप होने के बावजूद इस साल भी दुर्गापूजा का आयोजन करने का फैसला किया है। कोरोना महामारी और कमाई एकदम ठप होने के बावजूद इस साल भी दुर्गापूजा का आयोजन करने का फैसला किया है। सेक्स वर्कर का सबसे बड़ा संगठन दुर्बार महिला समन्वय समिति (डीएमएसएस) भी पूजा में मदद करता है। यह देश में सेक्स वर्कर्स की ओर से आयोजित की जाने वाली पहली और एकमात्र दुर्गापूजा है।

फिलहाल छोटे से पंडाल को बनाने का काम चल रहा है। इस पूजा का उद्घाटन किसी सेक्स वर्कर के हाथों 21 अक्टूबर को होगा। अबकी सोनागाछी की वर्करों की दुर्दशा ही इस दुर्गापूजा की थीम होगी। पुष्पा बताती हैं कि लॉकडाउन के दौरान वर्करों ने क्या-क्या परेशानियां झेली हैं और मौजूदा समय में उन्हें किन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, यह तमाम चीजें उनकी दुर्गापूजा पंडाल में पोस्टरों व तस्वीरों के जरिए दिखाई जाएंगी। पंडाल के मुख्यद्वार पर एक बड़ा सा ताला लटका होगा। यह ताला इन यौनकर्मियों के जीवन और रोजगार पर लगे ताले का प्रतीक होगा।

पंडाल आठ फीट चौड़ा और 12 फुट ऊंचा होगा जबकि प्रतिमा की अधिकतम ऊंचाई सात फुट होगी। प्रतिमा का निर्माण सनातन पाल कर रहे हैं।

दुर्बार महिला समन्वय समिति से जुड़ीं महाश्वेता मुखर्जी बताती हैं, “कोरोना महामारी के कारण सेक्स वर्कर्स बीते करीब सात महीने से बेरोजगार हैं। लॉकडाउन का एक-एक दिन उन पर बेहद भारी रहा है। इस पेशे से जुड़े होने के बावजूद उन पर बच्चों और परिवार की जिम्मेदारी है। लेकिन, कोरोना ने उनकी कमर तोड़ दी है।”

वह बताती हैं कि अब कोरोना के बीच जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है, लेकिन इन महिलाओं की हालत जस की तस है। यह लोग एक ऐसे पेशे से जुड़ी हैं कि दूसरा कोई काम नहीं कर सकतीं। उनको कोई भी काम नहीं देना चाहता।

दुर्बार समिति की सचिव काजल बोस बताती हैं, 'हमने किसी से चंदा नहीं वसूला है। आपस में चंदा जुटाया है और अगर किसी ने खुशी से दिया तो उसे लिया है। हम बहुत छोटे स्तर पर पूजा आयोजित कर रहे हैं। लेकिन, तमाम परंपराओं का पालन करेंगे।

वो कहती हैं कि खूंटी पूजा के साथ उत्तर कोलकाता के अविनाश कविराज स्ट्रीट में पंडाल का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। पंडाल आठ फीट चौड़ा और 12 फुट ऊंचा होगा, जबकि प्रतिमा की अधिकतम ऊंचाई सात फुट होगी। प्रतिमा का निर्माण सनातन पाल कर रहे हैं। दस कार्यकर्ताओं की टीम पूजा का सारा कामकाज देखती है।

वैसे तो इस इलाके की सेक्स वर्कर्स 2013 से ही एक कमरे में पूजा आयोजित करती रही हैं। लेकिन, कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2017 में उनको सार्वजनिक रूप से पूजा करने की अनुमति मिली। 2018 में उनके आयोजन ने तो देश-विदेश में सुर्खियां बटोरी थीं। तब उस पंडाल में भारी भीड़ जुटी थी।

सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स 2017 से पूजा का आयोजन भी करती रही हैं। लंबी अदालती लड़ाई के बाद उनको इसका अधिकार मिला था।

सोनागाछी इलाके में 11 हजार सेक्स वर्कर्स स्थायी तौर पर रहती हैं। इसके अलावा कोलकाता से सटे उपनगरों से भी औसतन तीन हजार महिलाएं यहां आती हैं एशिया में देह व्यापार की सबसे बड़ी मंडी कहे जाने वाले कोलकाता के सोनागाछी इलाके में हाल तक कभी सूरज डूबता ही नहीं था। यह कहना ज्यादा सही होगा कि यहां सूरज डूबने के बाद ही उजाला होता था।

लेकिन, कोरोनावायरस का खतरा सामने आने के बाद महीनों से यहां सन्नाटे का आलम है। क्या दिन और क्या रात...सब समान है। इससे यहां रहने वाली सेक्स वर्कर्स के सामने भूखों मरने की नौबत आई है। कई सेक्स वर्कर्स घरों के किराए तक नहीं दे पा रही हैं।

दुर्बार महिला समन्वय समिति (डीएमएसएस) का कहना है कि ग्राहकों की तादाद में भारी कमी की वजह से देह व्यापार के जरिए रोजी-रोटी चलाने वाली महिलाओं को भारी दिक्कत हो रही है। कोरोना वायरस ने पहली बार इस सदाबहार देहमंडी के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है।

डीएमएसएस के संस्थापक और मुख्य सलाहकार डा. समरजीत जाना बताते हैं, 'इन सेक्स वर्कर्स को जीने के लिए खाना और पैसा चाहिए। मैंने अपने लंबे जीवन में कभी इस धंधे में इतने बुरे दिन नहीं देखे हैं। इलाके में देह व्यापार करने वाली कई महिलाएं तो अपने दूर-दराज के रिश्तेदारों के पास चली गई हैं। लेकिन, दुर्गापूजा के एक सप्ताह के दौरान तमाम सेक्स वर्कर्स अपने तमाम दुखों को भुला कर पंडाल में देवी की आराधना में जुटी रहेंगी।



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फिलहाल यहां छोटे से पंडाल को बनाने का काम चल रहा है। इस पूजा का उद्घाटन किसी सेक्स वर्कर के हाथों 21 अक्टूबर को होगा।


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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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