राजस्थान के उदयपुर जिले के रहने वाले आकाशदीप वैष्णव नर्सरी का बिजनेस करते हैं। उनके पास 2 हजार से ज्यादा प्लांट्स की वैरायटीज है। तीन से चार सालों में ही उन्होंने अपनी एक पहचान बना ली है। आज सालाना 30 लाख रु उनका टर्नओवर है।
28 साल के आकाशदीप कहते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए 12वीं के बाद ही नौकरी की तलाश में जुट गया। जल्द ही नौकरी भी मिल गई। उससे घर का खर्च निकलने लगा। इसके बाद बीकॉम किया। तब तक सैलरी भी ठीक-ठाक हो गई थी। लेकिन मुझे जॉब सेटिस्फेक्शन नहीं मिल रही थी।
इसके बाद 2016 में मैंने नौकरी छोड़ दी और नए-नए आइडियाज के बारे में रिसर्च करने लगा। करीब 10 दिन बाद कहीं मुझे नर्सरी के बिजनेस के बारे में पढ़ने को मिला। मैंने सोचा कि क्यों न एक बार इसमें भी हाथ आजमाया जाए। हालांकि मुझे प्लाटिंग के बारे में जानकारी नहीं थी। परिवार में भी किसी ने गार्डनिंग नहीं की थी। मेरे लिए यह फिल्ड बिलकुल ही नया था।
एक नर्सरी से कुछ प्लांट्स लाया और एक छोटी सी नर्सरी सेटअप की। हालांकि जानकारी नहीं होने की वजह से नुकसान हो गया। ज्यादातर प्लांट्स सूख गए या खराब हो गए। इसके बाद मैंने तय किया कि किसी एक्सपर्ट से मिलकर इसकी ट्रेनिंग लेनी होगी। प्लांट्स और उनकी वैरायटीज के बारे में जानकारी हासिल करनी होगी। फिर बेंगलुरु और नोएडा में इसकी ट्रेनिंग ली, कई सेमिनार में शामिल हुआ। तब जाकर बिजनेस जमा।
वो बताते हैं कि बिजनेस स्टार्ट करने के बाद हम लोग घरों में जाकर उनकी जरूरत के हिसाब से फूलों की और दूसरे प्लांट्स की सप्लाई करते थे। फिर उनसे फीडबैक भी लेते थे। इस तरह धीरे- धीरे डिमांड बढ़ने लगी और हमारा दायरा बढ़ने लगा। अब तो हजारों की संख्या में प्लांट्स के लिए हम कॉन्ट्रेक्ट लेते हैं।
इसके साथ ही अब हम लोग ऑनलाइन भी ऑर्डर लेते हैं। वो प्लांट्स के साथ ही उनकी रखरखाव के सामान, गमले, खाद वगैरह भी रखते हैं। ताकि एक ही जगह ग्राहकों को ज्यादातर चीजें मिल जाए।
आकाशदीप कहते हैं कि अगर कोई नर्सरी का बिजनेस शुरू करना चाहता है तो उसे सबसे पहले मार्केट रिसर्च करनी चाहिए। किस जगह कौन से प्लांट्स की डिमांड है और वो प्लांट कहां-कहां मिलता है, इसके बारे में जानकारी जुटानी होगी। कई ऐसे जगह होते हैं, जहां कम कीमत में थोक में प्लांट्स मिलते हैं, तो इधर-उधर से खरीदने के बजाय ऐसे जगहों से ही खरीदें, जहां पैसों की बचत हो।
वो कहते हैं कि हमारे पौधे दक्षिण भारत से आते हैं। लेकिन मैं अन्य लोगों की तरह एजेंट्स पर निर्भर नहीं करता। मैं सीधा उन किसानों से मिलता हूं जो ये पौधे तैयार कर रहे हैं। किसानों से सीधा प्रोडक्ट लेने से उन्हें भी फायदा होता है और हमें भी। इसके साथ ही आपको प्लांट्स के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए, तभी आप ग्राहकों को बता सकते हैं कि कौनसा प्लांट धूप में उगेगा और कौनसा छाए में।
आकाशदीप कहते हैं कि शुरुआत में जब तक बहुत जरूरी नहीं हो, तब तक ज्यादा मजदूर नहीं रखना चाहिए। क्योंकि शुरुआत में ये एक्स्ट्रा खर्च बिजनेस को नुकसान पहुंचा सकता है। मैंने जब शुरुआत की थी, तब ज्यादातर काम खुद ही करता था। बाकी परिवार के लोग मदद करते थे। जब बिजनेस बढ़ गया तो 10-12 लोगों को हमने काम पर रखा है।
अभी आकाशदीप के पास 2 हजार से ज्यादा प्लांट्स की वैरायटीज हैं। इन सभी को नाम से वे जानते भी हैं। वे इनडोर और आउटडोर दोनों तरह के प्लांट्स रखते हैं। वो बताते हैं कि इस समय सबसे ज्यादा डिमांड एयर प्यूरीफायर वाले प्लांट्स की है।
आकाशदीप को इस काम में आमदनी के साथ जॉब सेटिसफेक्शन भी है। वो कहते हैं कि मेरे काम से लोगों के घर खूबसूरत तो होते ही हैं साथ ही पर्यावरण को भी फायदा होता है। वो जल्द ही राजस्थान के बाहर भी अपने बिजनेस को बढ़ाने वाले हैं।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3o38SV3
via IFTTT
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें