मिजोरम में विश्वास पर 30 सालों से चल रही है बिना दुकानदारों की दुकानें; जरूरत का सामान लीजिए, पैसे बॉक्स में डाल दीजिए

अगर आप सड़क मार्ग से मिजोरम जाएं तो हाईवे पर आपको कई दुकानें ऐसी मिलेंगी, जिनमेंसामान के बदले रुपए लेने वाला कोई नहीं मिलेगा। न ही इन दुकानों में ग्राहकों पर नजर रखने वाले सीसीटीवी कैमरे हैं। फिर भी सब्जियां, फल, जूस और राशन की ये दुकानें बीते करीब 30 सालों से चल रही हैं।

इन दुकानों को मिजोरम की स्थानीय भाषा में ‘नगाह लोह द्वार’ कहा जाता है, जिसका मतलब है बिना दुकानदार की दुकानें। इन दुकानों में सामान की रेटलिस्ट लगी होती है। सामान लेने के बाद ग्राहक को दुकान में ही रखे बॉक्स में कीमत के पैसे डालने होते हैं।

ज्यादातर ग्राहक पर्यटक या हाईवे पर चलने वाले ट्रक ड्राइवर होते हैं

मिजोरम में 1990 से इन दुकानों का चलन बढ़ा है। अधिकतर दुकानें राजधानी आइजोल से लुंगलेई हाईवे के बीच 60 किमी के दायरे में बक्तवांग, तलुंगवेल, थिंगसुल्थलिया गांवों के बीच हैं। इन दुकानों के ज्यादातर ग्राहक पर्यटक या हाईवे पर चलने वाले ट्रक ड्राइवर होते हैं।

लॉकडाउन के चलते पर्यटकों के घटने का असर इन पर भी पड़ा है

सामान्य दिनों में दुकानों से अच्छी आय हो जाती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते पर्यटकों के घटने का असर इन पर भी पड़ा है। ऐसी ही एक दुकान चलाने वाले ललरिथपुइया गांव के किसान बताते हैं कि रोज 500 से 1000 रुपए की आय होती थी, लेकिन अब कमाई बहुत कम हो गई।

टूरिस्ट आने बंद हैं और ट्रक भी कम निकल रहे हैं। उम्मीद है कुछ दिनों में सब पहले जैसा हो जाए।’ इस इलाके में किसान परिवार के सभी सदस्य खेतों में काम करते हैं। दुकान पर लगातार कोई मौजूद रहे, यह संभव नहीं होता, इसलिए बिना दुकानदारों की व्यवस्था बन गई। सारी दुकानें विश्वास पर चलती हैं, कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई पैसे दिए बिना सामान ले गया हो।

ग्राहक की सहूलियत के लिए गुल्लक में खुले पैसे भी रखते हैं दुकानदार
विश्वास की ये दुकानें गांव के किसान लगाते हैं। किसान रोज सुबह खेतों से ताजी सब्जियां, फूल, फ्रूट जूस, ताजा पानी, सूखी छोटी मछलियां और जरूरत के दूसरे सामान जुटाकर दुकानों पर रखते हैं। बांस की बल्लियों से बनी इन साधारण सी दुकानों पर पवीशा बॉन यानी पैसे रखने का डिब्बा या बॉक्स होता हैं। ग्राहक की सहूलियत के लिए गुल्लक में खुल्ले पैसे भी रखते हैंं। रोजाना शाम को खेत से लौटते वक्त किसान बचा सामान छोड़कर पैसे निकाल लेते हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
इन दुकानों को मिजोरम की स्थानीय भाषा में ‘नगाह लोह द्वार’ कहा जाता है, जिसका मतलब है बिना दुकानदार की दुकानें।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2NA4z3p
via IFTTT
SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें