केस बढ़ रहे हैं, रणनीति ऐसी हो कि अब मृत्यु दर न बढ़े; इसके लिए जरूरी है कि डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जाए

यूरोप में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हो गई है। स्पेन में जितनी बड़ी पहली लहर थी, दूसरी भी उतनी ही बड़ी है। भारत में भी कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक्टिव केस 5 लाख से पार जा चुके हैं। संक्रमण को रोकना अब मुश्किल हो रहा है। इसलिए अब हमारी नीति होना चाहिए कि कोरोना से होने वाली मौतों को कम से कम पर रोका जाए।

संक्रमण के आंकड़ों को देशव्यापी स्तर पर देखने के बजाय अब राज्यवार देखने की जरूरत है। क्योंकि स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में देश में एकरूपता नहीं है, हर राज्य की स्थिति अलग-अलग है। संक्रमण से थोड़ा हटकर हमें कोरोना से होने वाली मौतों पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। राज्यवार समझना होगा कि कितने मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर रणनीति होनी चाहिए।

महाराष्ट्र में पॉजिटिविटी रेट शुरू से ज्यादा रहा

राज्य स्तर पर बात करें तो सबसे ज्यादा दबाव महाराष्ट्र पर है। यहां यह दबाव शुरुआत से ही रहा है। महाराष्ट्र के बड़े-बड़े शहर संक्रमित हो रहे हैं। पुणे, थाणे और मुंबई में स्थिति बेहद खराब है। थाणे-पुणे में 80 हजार तो मुंबई में 1 लाख से ज्यादा केस हो गए हैं। ठाणे में रोज़ 1500, पुणे में तीन हजार मामले आ रहे हैं। टेस्टिंग के डेटा से पता चलता है कि महाराष्ट्र में पिछले 2 महीनों से पॉजिटिविटी रेट शुरुआत से ही ज्यादा रहा है।

दिल्ली में पिछले एक महीने में यह घटकर 13 प्रतिशत तक आया है। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं है। इसलिए भी कोरोना को रोकना मुश्किल हो रहा है। हम महाराष्ट्र में शुरू से ही संक्रमण रोकने में नाकाम रहे हैं, इसके कारण 8 में से तीन बड़े हॉटस्पॉट महाराष्ट्र में हैं। हम कह सकते हैं कि महाराष्ट्र में हालात काबू किए बिना देशभर के हालातों को काबू करना मुश्किल है। उत्तरप्रदेश में फिलहाल 26 हजार एक्टिव केस हैं।

जुलाई की शुरुआत तक एक्टिव केस 10 हजार से कम ही थे, लेकिन अब रोजाना 2700 केस मिल रहे हैं। लेकिन एक राहत की बात ये है कि यहां मृत्यु दर कम है। यूपी में यह दर 2.2 है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 2.3 है।

देश में टेस्टिंग क्षमता बढ़ाना होगा

अब हमें देश में टेस्टिंग की क्षमता को तेज़ी से बढ़ाना होगा। अभी हम रोज़ाना 5 लाख टेस्ट कर रहे हैं, अब टेस्टिंग दोगुना करने की बात हो रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेस्टिंग बढ़ाने की बात कही है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता पर फोकस करते हुए टेस्टिंग की क्षमता बढ़ाई जा रही है। हमें कोशिश करना होगा कि टेस्टिंग की क्षमता बड़े शहरों के साथ-साथ देशभर में बढ़ाई जाए। क्योंकि बिहार, केरल, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक आदि में भी केस बढ़ रहे हैं।

डेथ रेट को कम करने के लिए अस्पतालों की क्षमता बढ़ाना जरूरी है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप रातों-रात नए हॉस्पिटल खड़े कर दें बल्कि डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों की संख्या बढ़ानी होगी। इन अस्पतालों में बेड बढ़ाने होंगे। दिल्ली का उदाहरण हमारे सामने है। हर राज्य के ऐसे ही अस्पतालों और बेड की संख्या बढ़ानी होगी। जब हम अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने की बात करते हैं यह आसान नहीं है। कारण है कि हमने पिछले 70 सालों में हेल्थ केयर पर बहुत कम खर्च किया है।

डॉक्टर्स, नर्स और हेल्थ वर्कर्स कहां से लाएंगे ?

आज कोविड के लिए हम अस्पतालों में नए बेड तो बढ़ा लेंगे, लेकिन डॉक्टर्स, नर्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ता कहां से लाएंगे? यह एक दिन में नहीं होता है। अब हमेंं जरूरत है दूरगामी दृष्टि रखते हुए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करने की। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अलग से बजट बनाना होगा। लोगों को भी हाइजीन प्रोटोकॉल सिखाने की जरूरत है। इसमें निवेश करना होता है, समय भी लगता है।

अब आज लोगों को होम क्वारैंटाइन किया जा रहा है, जो बहुत जरूरी है। क्योंकि सभी लोगों को अस्पताल की जरूरत नहीं है लेकिन जरूरी यह है कि होम क्वारैंटाइन व्यक्ति को हाइजीन प्रोटोकॉल की समझ हो। वो दूसरों को संक्रमित न करें। घर से बाहर न घूमें, उसके कपड़े अलग धुलें आदि। यूरोप में देखा गया था कि हॉस्पिटल, वृद्धाश्रम ने ही सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाया।

संक्रमण के लिए हॉस्पिटल भी खतरनाक जगह हो सकती है। ऐसे में अगर किसी को गंभीर लक्षण नहीं है, कोविड असिम्टोमैटिक है, तो होम क्वारेंटाइन सबसे अच्छा तरीका है। चूंकि इसकी कोई विशेष दवाई नहीं है, जिसकी हॉस्पिटल में सबको जरूरत पड़े।

दूसरी तरफ लोग कोरोना के मामले में भारत की तुलना दूसरे देशों से करते हैं। यह बेमानी सी लगती है। जैसे कम जनसंख्या घनत्व वाले आइलैंड देश न्यूजीलैंड में क्वारैंटाइन आसानी से किया जा सकता है, वहीं चीन जैसे देश की कोरोना मरीजों की संख्या भी संदिग्ध है। दक्षिण कोरिया जैसे देश अमीर हैं, वहां की स्वास्थ्य सुविधाएं उन्नत हैं।

दक्षिण कोरिया में तो लोग कोविड से पहले भी मास्क पहनते थे। वहां लोक स्वास्थ और स्वास्थ्य की यह संस्कृति भारत से कहीं आगे हैं। ऐसे में किसी देश से खुद की तुलना करना ठीक नहीं है। बस जरूरत हर तरह की सावधानी और मिलकर कोरोना से लड़ने की है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
शमिका रवि, प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल की पूर्व सदस्य


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3hOy3HV
via IFTTT
SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें